तारा तारिणी मंदिर: तांत्रिको के लिए बहुत खास है यह मंदिर, मिल जाता है हर समस्याओ से छुटकारा
10 September 2024, तारा तारिणी मंदिर: तारा तारिणी मंदिर शक्ति साधना और तंत्र विद्या का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर मां तारा और मां तारिणी का निवास स्थल है, जिन्हें तंत्र साधना की देवी के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि यहां की शक्तियां साधकों को सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए तांत्रिक इस स्थान को अत्यधिक महत्व देते हैं।
यहा स्तिथ है तारा तारिणी मंदिर
तारा तारिणी मंदिर भारत के ओडिशा राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है। यह मंदिर गंजाम जिले के ब्रह्मपुर शहर के पास रुषिकुल्या नदी के किनारे स्थित है। यह शक्तिपीठ उन 51 स्थानों में से एक है, जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे। मंदिर की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि यह स्थान धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में देवी तारा और देवी तारिणी की पूजा की जाती है, जो माँ दुर्गा के रूप हैं।
कोनसा अंग गिरा था यह देवी सती का
तारा तारिणी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध है। इसे शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह कर लिया, तो भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव करने लगे। इस दौरान भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े किए, जो विभिन्न स्थानों पर गिरे। तारा तारिणी मंदिर उस स्थान पर स्थित है, जहाँ देवी सती का वक्षस्थल गिरा था। यह मंदिर देवी तारा और देवी तारिणी को समर्पित है, जिन्हें साक्षात शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
क्यू खास है यह मंदिर
तारा तारिणी मंदिर को बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता प्राप्त है। इस शक्तिपीठ में तांत्रिक साधना का विशेष स्थान है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु देवी तारा और देवी तारिणी की पूजा अर्चना करके अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि यहाँ की देवी अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। खासकर चैत्र नवरात्रि के समय इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, और मंदिर परिसर में एक विशाल मेला लगता है।
999 सीढ़िया चढ़नी पड़ती है यहा
तारा तारिणी मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है। यह पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ पहुँचने के लिए 999 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर के परिसर में देवी तारा और देवी तारिणी की विशाल मूर्तियाँ हैं, जो उनकी शक्ति और महत्ता का प्रतीक हैं। मंदिर की वास्तुकला ओडिशा के प्राचीन मंदिरों की शैली में बनी हुई है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है।
कैसे पाहुचे तारा तारिणी मंदिर
कैसे पहुँचें: तारा तारिणी मंदिर तक पहुँचने के लिए आप ब्रह्मपुर शहर से आसानी से बस या टैक्सी द्वारा पहुँच सकते हैं। यह मंदिर ब्रह्मपुर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रोपवे सुविधा: जो श्रद्धालु सीढ़ियाँ नहीं चढ़ना चाहते, उनके लिए रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है।
यात्रा का समय: तारा तारिणी मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का होता है, जब मौसम
सुहावना होता है।
तारा तारिणी मंदिर में विशेष पूजा और मेले
तारा तारिणी मंदिर में चैत्र नवरात्रि का त्योहार विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर आते हैं और देवी की पूजा करते हैं। इस दौरान मंदिर में मेला भी लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं और देवी के आशीर्वाद की कामना करते हैं। यहाँ विशेष पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं, जो तांत्रिक साधना से जुड़े होते हैं।
तारा तारिणी मंदिर न केवल एक शक्तिपीठ है, बल्कि यह तांत्रिक साधना और धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र भी है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु देवी तारा और देवी तारिणी से आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति पाते हैं। यदि आप ओडिशा की यात्रा पर हैं, तो तारा तारिणी मंदिर अवश्य जाएँ और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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