टीबी लक्षण, प्रकार, आहार, कारण
टीबी (तपेदिक) का रोग वैश्विक रूप से फैला हुआ है और यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्कुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है और आपके श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। टीबी वायरस वायरस द्वारा फैलता है, जो संक्रमित व्यक्ति के श्वसन पथ में छूने पर संक्रमित हो सकता है।
टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह रोग आमतौर पर फेफड़ों (लंगों) को प्रभावित करता है, लेकिन अन्य अंगों जैसे कि किडनी, अंडाशय (ऑवेरी), हड्डियों और दिमाग भी प्रभावित हो सकते हैं।
टीबी के होने का मुख्य कारण होता है माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के संपर्क में आना। जब ट्यूबरकुलोसिस वाला व्यक्ति छींकता है या खांसता है, तो यह जीवाणु वातावरण में छूट जाते हैं और दूसरे लोगों तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, यदि किसी का शरीर कमजोर होता है या उन्हें किसी अन्य संक्रमण या रोग के कारण प्रभावित किया जाता है, तो वे टीबी के विकास के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अलावा, टीबी का फैलने का खतरा उन लोगों में अधिक होता है जो धूम्रपान करते हैं, अपूर्ण और अशुद्ध आहार लेते हैं, बार बार संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं या विशेष रूप से अवसरों पर निकट संपर्क में रहते हैं जहां बहुत सारे लोगों के बीच थाली और बर्तन साझा होते हैं (जैसे कि छात्रावास, जेल, सैनिटरियम आदि)।
टीबी वाले व्यक्ति के संपर्क में आने के बावजूद, सभी लोग इस बीमारी से संक्रमित नहीं होते हैं। अधिकांश मामलों में, स्वस्थ और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति इसके संक्रमण से बच सकते हैं। टीबी के प्रतिकार में, समय पर टीबी के लक्षणों की पहचान करना और उचित उपचार शुरू करना आवश्यक होता है। एक बार टीबी का प्रतिकार संभव है, लेकिन उपचार की पूरी अवधि तक दवाओं का संयमपूर्वक सेवन और नियमित फॉलोअप का ध्यान रखना अत्यावश्यक है।
टीबी के लक्षण और प्रकार:
टीबी के लक्षणों में सामान्यतया छींकने, खांसी, बुखार, थकान, वजन कमी और रात को पसीना आना शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, श्वसन तंत्र के अन्य भागों में भी संक्रमण हो सकता है, जिससे छाती में दर्द, फेफड़ों की गड़बड़ी और रक्तगल्ब्ब आने का कारण बनता है।
टीबी के प्रकारों में पुल्मोनरी टीबी (फेफड़ों में संक्रमण), एक्सट्रापुल्मोनरी टीबी (फेफड़ों के बाहर संक्रमण) और लेप्रोसी टीबी शामिल हैं। पुल्मोनरी टीबी सबसे आम रूप है, जिसमें फेफड़ों में संक्रमण होता है और इसे छींक, खांसी और सांस लेने में कठिनाई के साथ जाना जाता है।
टीबी के निदान और उपचार:
टीबी का निदान करने के लिए लव स्क्रीन टेस्ट, टीबी स्किन टेस्ट और रक्त परीक्षण जैसे परीक्षण किए जाते हैं। इन परीक्षणों के माध्यम से टीबी के जीवाणु की उपस्थिति का पता लगाया जाता है।
टीबी का उपचार करने के लिए दवाओं का सेवन किया जाता है जो टीबी जीवाणु को मारती हैं। एक सामान्य टीबी रोगी को न्यूमोनिया की तरह की दवाओं का संयोग लेना पड़ता है, जिसे आमतौर पर 6 महीने तक लिया जाता है। टीबी का इलाज सरकारी अस्पतालों में ही मिलता है। इस बीमारी के इलाज को केंदीय सरकार ने हाथ में लिया है। सरकारी अस्पताल में इसका इलाज बिल्कुल मुफ्त है। अगर आपके खून और कफ कि जांच में टीबी नहीं है और छाती के एक्स-रे में सफेद टीबी के दाग है, तो भी आपको टीबी का इलाज 6 महीने तक लेना होता है।
टीबी के बचाव के लिए कुछ सावधानियां हैं जो आप अपना सकते हैं, जैसे कि टीबी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहने से बचें, व्यक्तिगत सामग्री जैसे कंटेनर, तौलिए, चेहरे के रूम में तौलिए, मुंडन रूम, शारीरिक संपर्क और साझा चीजों के संपर्क से बचें।
यदि किसी को टीबी (तपेदिक) है, तो उन्हें उपचार के साथ स्वस्थ और पोषणपूर्ण आहार लेना चाहिए। यहां कुछ प्रमुख सामग्री हैं जो टीबी मरीजों को शामिल करनी चाहिए:
प्रोटीन: टीबी मरीजों को पर्याप्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसके लिए दूध, दही, पनीर, अंडे, मीट, सोया आदि अच्छे स्रोत हो सकते हैं।
फल और सब्जियां: टीबी मरीजों को अपने आहार में फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए। ये पोषणपूर्ण होते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने में मदद करते हैं। अच्छे स्रोत में सेब, केला, नारंगी, गाजर, मटर, गोभी, पालक, टमाटर आदि शामिल हो सकते हैं।
पूरी अनाज: टीबी मरीज को पूरी अनाज खाना चाहिए, जैसे कि ब्राउन चावल, गेहूं, जोवर, बाजरा आदि। इनमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और यौगिक देते हैं।
हेल्दी तेल: आहार में हेल्दी तेल शामिल करना भी महत्वपूर्ण है। इसमें ऑमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। छोटे मात्राओं में अवोकाडो, तिल का तेल, जैतून का तेल, नट्स आदि शामिल करें।
विटामिन D: टीबी मरीजों को विटामिन D की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसकी कमी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकती है। धूप में वक्त बिताएं और दूध, दही, मछली, और विटामिन D सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
टीबी मरीजों के लिए ये सामग्री स्वास्थ्यपूर्ण हैं, लेकिन आपको एक पेशेवर चिकित्सक या पोषण सलाहकार से परामर्श करना चाहिए ताकि वे आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं और स्थिति के आधार पर आपके लिए सटीक आहार सामग्री की सलाह लेनी चाहिए।
टीबी मरीजों को पोषणपूर्ण आहार लेना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ फलों की सूची है जो टीबी मरीजों को शामिल करने में मदद कर सकती है:
आंवला: आंवला विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है। आप आंवला को स्वरस या मुरब्बा के रूप में ले सकते हैं।
अंगूर: अंगूर में विटामिन C, ए, और ए कारोटिन आदि होते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।
नारंगी: नारंगी विटामिन C का एक अच्छा स्रोत है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
सेब: सेब में फाइबर, विटामिन C, और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो स्वस्थ रहने में मदद करते हैं।
पपीता: पपीता विटामिन C और ए का एक बढ़िया स्रोत है और डाइजेस्टिव स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है।
मौसंबी: मौसंबी में विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट्स, और फाइबर होता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
नींबू: नींबू विटामिन C का एक अच्छा स्रोत है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
यदि आपके पास किसी विशेष फल के प्रति एलर्जी या संबंधित स्वास्थ्य समस्या हो, तो एक पेशेवर चिकित्सक से सलाह लेना सबसे अच्छा होगा। वे आपकी स्थिति के आधार पर आपको उचित सुझाव दे सकेंगे।
टीबी मरीजों के लिए सही आहार व्यवस्था करना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ आहार सामग्री हैं जिन्हें टीबी मरीजों को खिलाने की सलाह दी जाती है:
देने योग्य आहार सामग्री:
पूरी अनाज: जैसे कि चावल, गेहूं, जौ, बाजरा, रागी आदि।
प्रोटीन: दूध, दही, पनीर, अंडे, मछली, चिकन, सोया प्रोडक्ट्स।
फल और सब्जियां: सेब, केला, नारंगी, आंवला, पपीता, गाजर, मटर, टमाटर, पालक, ब्रोकली आदि।
हेल्दी तेल: जैतून का तेल, सूरजमुखी का तेल, नारियल तेल, तिल का तेल आदि।
ड्राई फ्रूट्स: किशमिश, काजू, बादाम, अखरोट आदि।
विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स: यदि आवश्यकता हो तो चिकित्सक द्वारा निर्धारित सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
इसके अलावा, निम्नलिखित आहार सामग्री को टीबी मरीजों को देने से बचें:
देने नहीं योग्य आहार सामग्री:
तला हुआ और अधिक मसालेदार खाद्य पदार्थ: तला हुआ खाना और अधिक मसालेदार खाद्य पदार्थ टीबी मरीजों को परेशान कर सकते हैं।
तेज़ी से ख़त्म होने वाला खाना: तेजी से ख़त्म होने वाला खाना जैसे कि चाय, कॉफ़ी, शराब, मिठाई, आदि टीबी मरीजों के लिए अच्छा नहीं होता है।
प्रोसेस्ड फूड: प्रोसेस्ड फूड जैसे कि चिप्स, नमकीन, केक, बिस्कुट, सॉडा आदि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
अन्य तंबाकू उत्पाद: धूम्रपान और अन्य तंबाकू उत्पादों से दूर रहें।
एक पेशेवर चिकित्सक द्वारा निर्धारित आहार प्रणाली और सलाह का पालन करना सबसे अच्छा होगा। वे टीबी मरीज के व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर आहार संबंधी सलाह दे सकते है।
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