भारत मे 6 प्रकार की ऋतुए होती है। जानिए कब आती है ये ऋतु और क्या महत्त्व है इनका
ऋतुएं एक वर्ष से छोटा कालखंड है जिसमें मौसम की दशाएँ एक खास प्रकार की होती हैं। यह कालखण्ड एक वर्ष को कई भागों में विभाजित करता है जिनके दौरान पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के परिणामस्वरूप दिन की अवधि, तापमान, वर्षा, आर्द्रता इत्यादि मौसमी दशाएँ एक चक्रीय रूप में बदलती हैं। मौसम की दशाओं में वर्ष के दौरान इस चक्रीय बदलाव का प्रभाव पारितंत्र पर पड़ता है और इस प्रकार पारितंत्रीय ऋतुएँ निर्मित होती हैं।
भारत देश को ऋतुओं का देश कहा जाता है। विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां समय-समय पर छः ऋतुएं अपनी छटा बिखेरती हैं। ऋतु को 6 भागों में बांटा गया है। वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर, वसंत। हर ऋतु एक अलग ही आनंद और उत्साह लोगों में देखने को मिलता है। ऋतुएं कितनी होती हैं आज हम इन्हीं ऋतुओं के बारे में जानेंगे।
भारत में ऋतुओं की संख्या
- वसंत
- ग्रीष्म
- वर्षा
- शरद
- हेमंत
- शीत
वसंत ऋतु
वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है। इसे मीठा मौसम भी बोलते हैं। जिसमें न ज्यादा गर्मी पड़ती है और न ही ज्यादा ठंड। वसंत के मौसम में फूलों की नई कलियां खिलती हैं। इस मौसम में लोगों के मन में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। हमारा जीवन चारों ओर के मोहक वातावरण को देखकर मुस्करा उठता है। यह ऋतु मार्च से मई तक होती है। इस ऋतु में मौसम सुहावना होता है। दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। पेड़-पौधे नए पत्ते और फूलों से सज जाते हैं। इस ऋतु में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे होली, महावीर जयंती, गुड फ्राइडे आदि।
ग्रीष्म
यह गर्मी का मौसम होता है. इसमें सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। ग्रीष्म ऋतु मई से जुलाई तक होती है। इस ऋतु में मौसम गर्म और शुष्क होता है। दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं। इस ऋतु में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर भी जा सकता है। इस ऋतु में लोग गर्मी से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं, जैसे पंखे, कूलर, एसी का प्रयोग करना, ठंडे पेय पदार्थ पीना आदि।
वर्षा
वर्षा ऋतु को मॉनसून के नाम से भी कहा जाता है. भारत में इस मौसम के दौरान कई हिस्सों में खूब बारिश होती है। इस मौसम में मौसम सुहावना हो जाता है.वहीं कई त्योहार भी इस मौसम में आते हैं। वर्षा ऋतु जुलाई से सितंबर तक होती है। इस ऋतु में मौसम नम और ठंडा होता है। दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं। इस ऋतु में बारिश होती है, जिससे फसलों को पानी मिलता है। इस ऋतु में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे नाग पंचमी, गणेश चतुर्थी, रक्षाबंधन आदि।
शरद ऋतु
शरद ऋतु प्रभाव की दृष्टि से बसंत ऋतु का ही दूसरा रुप है.क्योंकि शरद ऋतु में गर्मी थोड़ी सी कम हो जाती है. इस मौसम में वातावरण में स्वच्छता का प्रसार दिखा़ई पड़ता है. हिंदू माह के अनुसार शरद ऋतु में अश्विन और कार्तिक मास आता है. शरद ऋतु सितंबर से नवंबर तक होती है। इस ऋतु में मौसम सुहावना होता है। दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। इस ऋतु में तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इस ऋतु में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे नवरात्रि, दशहरा, दिवाली आदि।
हेमंत
मार्गशीर्ष और पौष ‘हेमन्त ऋतु‘ के मास हैं. इस ऋतु में शरीर प्राय स्वस्थ रहता है. इस मौसम में रातें बड़ी हो जाती हैं और दिन छोटे हो जाते हैं. हेमंत ऋतु नवंबर से जनवरी तक होती है। इस ऋतु में मौसम शीतल होता है। दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं। इस ऋतु में तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इस ऋतु में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे छठ पूजा, भाई दूज आदि।
शिशिर
शिशिर ऋतु का आरम्भ मकर संक्रांति से होता है। इस ऋतु में प्रकृति पर बुढ़ापा छा जाता है। क्योंकि वृक्षों पर से पत्ते झड़ने लगते हैं। चारों तरफ कुहरा छाया होता है। इस प्रकार ये ऋतुएं जीवन रुपी फलक के भिन्न- भिन्न दृश्य हैं, जो जीवन में रोचकता, सरसता और पूर्णता लाती हैं। शीत ऋतु जनवरी से मार्च तक होती है। इस ऋतु में मौसम ठंडा होता है। दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं। इस ऋतु में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इस ऋतु में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे होली, महाशिवरात्रि, बसंत पंचमी आदि।
ऋतुओं का महत्व
ऋतुएँ प्रकृति का एक अभिन्न अंग हैं। इनका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऋतुओं के अनुसार ही फसलों की बुवाई और कटाई होती है। ऋतुओं के अनुसार ही हमारे पहनावे और खान-पान में बदलाव आता है। ऋतुओं के अनुसार ही हमारे त्योहार मनाए जाते हैं।
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